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भ्रम फ़ैला रहा है हिन्दुस्तान अखबार



भ्रम फ़ैला रहा है हिन्दुस्तान अखबार

फ़रार अपराधी "फ़ौजी" को बता दिया गिरफ़तार

के के उपाध्याय फ़स गयें अक्कू के चमचो के काकस में

ब्रह्मेश्वर मुखिया के श्राद्ध के दिन हिन्दुस्तान ने कर लिया अपना भी श्राद्ध



वैसे तो हिन्दुस्तान के उपर बिहार की सरकार के प्रचारतंत्र होने का आरोप पहले से लगता रहा है । पटना पुस्तक मेले में तो एक पाठक ने हिन्दुस्तान अखबार के राष्ट्रीय संपादक को सुझाव देते हुये कहा था कि आप अपने अखबार में यह टैग लगा दें कि यह बिहार सरकार का मुख्यपत्र है लेकिन के के उपाध्याय के आने के बाद यह आशा पैदा हुई थी कि शायद अक्कू के दौर के बाद हिन्दुस्तान मे एक नई शुरुआत होगी ।

ब्रह्मेश्वर मुखिया कि हत्या से लेकर दशकर्म तक की खबर को प्रमुखता से छापते रहनेवाले हिन्दुस्तान अखबर ने श्राद्ध की खबर को अपने अखबार के आठवे पेज में सिमटा दिया । हिन्दुस्तान के हीं कुछ पत्रकारो का कहना है कि ऐसा अक्कु के समय की लाबी के कारण हुआ । हिन्दुस्तान के वर्तमान संपादक के के उपाध्याय आजकल अक्कू श्रीवास्तव के चमचो से घिरे हुये हैं । इन चमचो ने के के उपाध्याय को यह सलाह दे मारी कि ब्रह्मेश्वर मुखिया के उपर अब बहुत छप गया है इसे ज्यादा प्रमुखता देने की जरुरत नही है , परिणाम हुआ कि के के उपाध्याय ने ब्रह्मेश्वर मुखिया के श्राद्ध की खबर को आठवे पेज पर सिमटा देने का निर्देश जारी कर दिया ।

अखबारो की बिक्री से यह पता चल जाता है कि कौन से समाचार के कारण आज किसी अखबार की ज्यादा बिक्री हुई और इसी का अंदाजा लगाकर किसी खास घटना की खबर छपने पर उस दिन अखबारों का सर्कुलेशन भी ज्यादा कर दिया जाता है ।

ब्रह्मेश्वर मुखिया के श्राद्ध की खबर आठवे पेज पर छापने का परिणाम हुआ कि दुसरे दिन हिन्दुस्तान की बिक्री में जबर्दस्त कमी आई । अन्य श्रोतो से भी इस खबर को मेन पेज पर न छापने के कारण आलोचना शुरु हो गई । बिहार के अन्य प्रमुख अखबारो ने इसे मेन पेज पर छापा । जब हिन्दुस्तान की फ़जीहत होने लगी तो के के उपाध्याय ने ब्रह्मेशवर मुखिया के हत्याकांड में पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई को प्रमुखता से छापना शुरु कर दिया । लेकिन यहां भी हिन्दुस्तान चुक कर बैठा , उसने फ़ौजी जिसकी तलाश पुलिस इस हत्याकांड में कर रही है , उसकी गिरफ़तारी की खबर आज के अपने पटना संस्करण में छाप दी । इस खबर को पढकर पुलिस के आला अधिकारियों के भी होश उड गये क्योंकि हिन्दुस्तान ने यह दावा किया है कि फ़ौजी को गिरफ़्तार कर के दुसरी जगह रखा गया है तथा पुछताछ की जा रही है । बिहार मीडिया ने अपने स्तर से पता लगाया तो यह खबर गलत निकली । फ़ैजी की गिरफ़तारी की बात तो दुर , पुलिस उसके आसपास तक नही पहुंच पाई है ।

लगता है ब्राह्मेश्वर मुखिया के श्राद्ध की खबर आठवें पेज छापने का प्रायश्चित हिन्दुस्तान भ्रमित करनेवाली खबर छाप के कर रहा है ।

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