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पत्रकार बनकर छुपा था आतंकी कुरैशी, वाराणसी मंदिर में विस्फोट करने में था हाथ

पानीपत।। वाराणसी के मंदिर में बस विस्फोट का आरोपी 38 वर्षीय डॉ. इफ्तिखार कुरैशी खटीक बस्ती के इमाम मोहल्ले में तीसरी मंजिल पर छोटे से कमरे में रहता था. कुरैशी की गिरफ्तारी के बाद भास्कर टीम उसके घर पहुंची. उसने बताया कि वो खाने के लिए मामा के होटल पर जाता था. कुरैशी बहुत ही सीमित पत्रकारिता करता था.
 
उसने अपने आपको कभी भी पत्रकार के तौर पर स्थापित करने की कोशिश नहीं की. पिछले पांच सालों से उर्दू समाचार से जुड़ने के बावजूद कुरैशी को शहर के कुछ ही लोग जानते थे. वह शहर के किसी भी बड़े कार्यक्रम, प्रेसवार्ता व बड़ी वारदातों को कवर करने नहीं जाता था. वह केवल अपने पुराने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा था.
 
इफ्तिखार कुरैशी के बारे में मोहल्ले वालों को ये जानकारी है कि वह एक पत्रकार है, लेकिन किसी को यह जानकारी बिल्कुल नहीं थी कि वह कहां का रहने वाला था. उसने अपनी छवि सीधे और कम मिलने वाले व्यक्ति के रूप में बनाई.
 
यूपी में अपने परिवार से संपर्क किया, मां-बाप से मिलने पर हो पाया ट्रेस
 
चार-पांच साल तक कुरैशी ने किसी से कोई संपर्क नहीं साधा. इस बीच वह कहां रहा, परिवार वालों को पता नहीं था. करीब दो-तीन सालों से कुरैशी परिवार वालों के संपर्क में आया था. धीरे-धीरे उसके बूढ़े मां-बाप यूपी के गांव टांडा से उससे मिलने आने लगे. पुलिस को जब इसकी खबर लगी तो पूरी तैयारी के बाद गुरुवार रात करीब 10 बजे कुरैशी को गिरफ्तार कर लिया. उसके मकान मालिक पत्थरगढ़ निवासी आरीफ ने बताया कि कुरैशी ने गिरफ्तारी के बाद मां को 10,800 रुपए देने के लिए दिए थे.
 
2006 के बनारस बम ब्लास्ट में शामिल था कुरैशी, 28 से ज्यादा की गई थी जान
 
1 मार्च, 2006 को बनारस के संकटमोचन हनुमान मंदिर व कैंट रेलवे स्टेशन पर बम ब्लास्ट हुए थे. दोनों ब्लास्ट कुछ मिनटों के फासले पर हुए थे. पहला ब्लास्ट मंदिर पर शाम को 6:20 बजे आरती के दौरान हुआ था. इस ब्लास्ट में 28 से ज्यादा लोगों की जान गई थी, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. वहीं शहर में छह से ज्यादा स्थानों पर बम डिसमिस किया गए थे. इन बम ब्लास्ट में भी इफ्तिखार कुरैशी के भी शामिल होने का आरोप है. कुरैशी ने अभी शादी नहीं की है.
 
टेक्नॉलोजी का जानकार, देर रात तक कंप्यूटर पर करता था काम
 
कुरैशी के पास अपना कंप्यूटर सिस्टम था. इस सिस्टम में डोंगल का प्रयोग करके वह इंटरनेट का इस्तेमाल करता था. कुरैशी के मकान की पुरानी मालकिन ने बताया कि वह देर रात तक कंप्यूटर पर काम करता था. उससे मिलने के लिए काफी लोग अकसर उसके कमरे पर आते थे. पुलिस टीम को हार्ड डिस्क से उसके पुराने साथियों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद है.
 
अरबी, उर्दू, अंग्रेजी और हिंदी का अच्छा जानकार, पत्रकारिता का भी डिप्लोमा
 
कुरैशी को चार भाषाएं अच्छे से आती हैं. वह उर्दू में डिप्लोमा की डिग्री तथा फैजल में अरबी की डिग्री ले चुका है. 15 नवंबर, 1985 को जन्मे कुरैशी ने पत्रकारिता का डिप्लोमा किया है. वह कंप्यूटर व बिजनेस अकाउंटिग का जानकार है. पत्रकारिता का डिप्लोमा डिग्री लेने के साथ, पांच साल के लंबे अनुभव के बाद भी उसने पानीपत के किसी भी बड़े समाचार पत्र में जाने का प्रयास नहीं किया.
साभार : दैनिक भास्कर