मदन तिवारी जी से कभी मिला नहीं बल्कि जब दिल चाहता है तो फ़ोन पर बात हो जाती है। . जब बात हुई तो देश और समाज के मुद्दो को लेकर। . जहा वो एक अच्छे वकील है वही अच्छे लेखक भी। वो लिखते है दिल खोलके । मुझे लगता है। . लिखने में कोई कोम्प्रोमाईज़ का सहारा नहीं लेते है। अभी कुछ दिनों से देख रहा था। . उनके लेखो में गाली भी शरीक हो गयी थी तो मैंने गुजारिश की भाई ये गाली मत लिखो। अच्छा नहीं लगता है। मगर जो भी लिखते है अच्छा लिखते है। जिसका मै कायल हु।
एडिटर
सुशील गंगवार
साक्षात्कार डॉट। कॉम
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