Sakshatkar.com- Filmidata.com - Sakshatkar.org

मंथन की काव्य गोष्ठी, उर्मिला और रश्मि की रचनाओं पर चर्चा





चंडीगढ: साहित्य संस्था ‘मंथन’ के सौजन्य से सेक्टर-23 के महावीर मुनि जैन मंदिर में 
काव्य गोष्ठी का आयोजन अमरजीत ‘अमर’ की अध्यक्षता में हुआ, मुख्य अतिथि जयगोपाल ‘अश्क़’ थे और मंच संचालन सुशील ‘हसरत’ नरेलवी ने किया। गोष्ठी के पहले चरण में कवयित्री व चरित्र अभिनेत्री उर्मिला कौशिक ‘सख़ी’ व कवयित्री रश्मि खरबन्दा की कविताओं पर चर्चा की गई। उर्मिला कौशिक ने अपनी कविताएं, ‘नशा’, ब्याह’, ‘अन्तर’, ‘ग़लती’, ‘दो मज़दूरन’ व ‘रिश्ता’ पढ़कर सुनाई। शायर जयगोपाल ‘अश्क़’ ने कविताओं में जीवन से जुड़ी समस्याओं का बख़ूबी चित्रण और जीवन की गुत्थी व ग्रंथियों को खोलने का गुण है’। समालोचक सुभाष रस्तोगी ने कविताएं संवेदना से ओतप्रोत व बिम्बात्मक व गहराई लिए हुए बताया। विजय कपूर ने कहा कि ‘सख़ी’ की कविताओं में सहज व प्राकृतिक अभिव्यक्ति संवेदनाओं को पुरज़ोर मुखर करती है व कहीं भी बनावटीपन नहीं है’’। नरेलवी के मुताबिक कविताएं सामाजिक विसंगतियों पर तीखी मगर संवेदनात्मक चोट करती हैं जो एक टीस पाठक के मन में देर तक के लिए छोड़ जाती है।’’
रश्मि खरबन्दा ने अपनी कविताएं, ‘काश बड़ी न होती मैं’, सितारों का सच’, ‘जी करदा है चन्द दी मैं गैंद बनावा’, ‘शाब्द-बान’, ‘नेह की चदरिया’ व ‘प्रेमपाती’ पढ़कर सुनाई। रस्तोगी ने कहा कि
‘कविताओं में अभिव्यक्ति के साथ संवेदना का सुन्दर पुट है’, जय गोपाल ‘अश्क़’ ने कहा कि ‘रश्मि की कविताओं में विचारों का मंथन देखने को मिला’, नरेलवी के विचार से ‘रश्मि की काव्य रचनाओं में पीड़ा का संवेदनात्मक चित्रण एक गहरी अनुभूति की छाप छोड़ता है’, उर्मिला कौशिक के मतानुसार ‘हँसते चेह्रे के पीछे छिपे दर्द की सुन्दर अभिव्यक्ति है कविताएं।’’
काव्य गोष्ठी की शुरुआत आर0 सी0 चन्द्रा की कविता ‘डायरी का पन्ना’ से हुई। सुुशील ‘हसरत’ नरेलवी ने कविता ‘...क्यों होती है’ के माध्यम से जीवन साँझ को लेकर एक सवाल उठाया, विजय कपूर ने कविता ‘ये ख़ास बात जो मुझमें नहीं है’, बलवन्त सिँह रावत ने गीत ‘यादों के दीप’, राजेश पंकज ने मुक्तक, मुसव्विर फिरोज़पुरी ने ग़ज़ल, सतनाम सिँह ने कविता ‘ऐ रे शलभ तूने
क्या पाया’, सुभाश शर्मा ने पंजाबी कविता ‘माँ दा उलाम्भा’, बेबी जिज्ञासा ने कविता ‘चंदा मामा’,  अश्विनी ने ग़ज़ल, आर0 के0 भगत ने गीत ‘इक रंगीली जेई सवेर मेनू याद आन्दी है’, सुभाष रस्तोगी ने कविता ‘मन रोने का हो तो आँखें रोएं किसके सामने’, दीपक खेतरपाल ने व्यंग्य कविता ‘था मैं भी एक सिंकदर’, चमन शर्मा ने ग़ज़ल, षायर जयगोपाल ‘अश्क़’ ने पंजाबी गीत ‘रांझा नाम उसदा जिसनू देन मापे ही उस दी सदामंदी है’, अमरजीत ‘अमर’ ने ग़ज़ल ‘तरस खाने के लायक ज़िन्दगी में’ सुनाकर माहौल को खुशगवार बनाया व श्रोताओं को गदगद किया।